नई दिल्लीः भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर हो गए। अपने आखिरी कार्य दिवस पर विदाई भाषण (फेयरवेल स्पीच) में उन्होंने कहा कि अगर मैंने किसी को ठेस पहुंचाई हो तो कृपया मुझे माफ कर देना। यह अदालत ही है जो मुझे आगे बढ़ाती है। हम ऐसे लोगों से मिलते हैं जिन्हें हम संभवतः जानते तक नहीं हैं। मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूं। यदि मैंने कभी अदालत में किसी को ठेस पहुंचाई हो तो मैं चाहूंगा कि आप कृपया मुझे माफ कर दें। इतनी बड़ी संख्या में आने के लिए धन्यवाद।
सेरेमोनियल बेंच को लेकर कही ये बात
डीवाई चंद्रचूड़ ने सेवानिवृत्ति के अवसर पर यह भी खुलासा किया कि वह सेरेमोनियल बेंच के सूचीबद्ध होने से पहले ‘जितना हो सके उतने मामले’ सुनना चाहते थे। जब मेरे कोर्ट स्टाफ ने कल मुझसे पूछा कि सेरेमोनियल बेंच को किस समय सूचीबद्ध किया जाएगा, तो मैंने कहा कि मैं जितने मामले कर सकता हूं, करूंगा। मैं आखिरी समय तक न्याय करने का अवसर नहीं चूकना चाहूंगा।
सभी की उपस्थिति से अभिभूत हूं
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कल रात मैं सोच रहा था कि दोपहर 2 बजे कोर्ट खाली हो जाएगा और मैं स्क्रीन पर खुद को देख रहा हूं। मैं आप सभी की उपस्थिति से अभिभूत हूं। इतने सारे लोगों की कोर्ट में उपस्थित से मैं खुद को ‘विनम्र’ महसूस कर रहा हूं।
अपने काम से संतुष्ट हैं डीवाई चंद्रचूड़
भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के अंतिम दिन डीवाई चंद्रचूड़ ने इस वास्तविकता को स्वीकार किया कि वह अब देश के शीर्ष न्यायाधीश के रूप में काम नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि मैं कल से न्याय नहीं दे पाऊंगा, लेकिन मैं संतुष्ट हूं। चंद्रचूड़ ने न्यायाधीशों की भूमिका को तीर्थयात्रियों के समान बताया, जो सेवा करने की प्रतिबद्धता के साथ हर दिन अदालत आते हैं। उन्होंने कहा कि हम जो काम करते हैं वह मामले बना या बिगाड़ सकता है। उन्होंने कहा कि पीठ को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के सक्षम हाथों में सौंपकर वे आश्वस्त महसूस कर रहे हैं। संजीव खन्ना देश के अगले मुख्य न्यायधीश होंगे।
डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनाई पिता की कहानी
फेयरवेल स्पीच में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मेरे पिता ने पुणे में छोटा सा फ्लैट खरीदा था। मैंने उनसे पूछा, आप पुणे में एक फ्लैट क्यों खरीद रहे हैं? हम वहां कब जाएंगे और रहेंगे? उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि मैं वहां कभी नहीं रहूंगा। उन्होंने कहा, मुझे यकीन नहीं है कि मैं कितने समय तक आपके साथ रहूंगा। लेकिन एक काम करें, न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के आखिरी दिन तक इसे बरकरार रखें। हमने पूछा ऐसा क्यों? उन्होंने कहा, यदि तुम्हें ऐसा लगता है नैतिक अखंडता या आपकी बौद्धिक अखंडता से कभी समझौता किया जाता है। मैं चाहता हूं कि आप जानें कि आपके सिर पर छत है। एक वकील या न्यायाधीश के रूप में कभी भी अपने आप को समझौता करने की अनुमति न दें क्योंकि आपके पास अपना कोई स्थान नहीं है।
विदाई समारोह को संबोधित करते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि इतने बड़े सम्मान के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद…मैं इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं…मेरा जब मैं बड़ा हो रहा था तो माँ ने मुझसे कहा था कि मैंने तुम्हारा नाम धनंजय रखा है, लेकिन तुम्हारे ‘धनंजय’ में जो ‘धन’ है, वह भौतिक धन नहीं है।
दो साल पहले बने थे सीजेआई
बता दें कि डीवाई चंद्रचूड़ ने दो साल पहले नवंबर में देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला था। वह मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे। सीजेआई ने आज रिटायर होने से पहले कई याचिकाओं का भी निपटारा किया।